एडविना माउंटबेटन जो वायसराय माउंटबेटन की पत्नी थीं, उन्होंने अंबेडकर को एक पत्र में लिखा कि वे ‘निजी तौर पर ख़ुश’ हैं कि संविधान निर्माण की ‘देखरेख’ वे कर रहे हैं, क्योंकि वे ही ‘इकलौते प्रतिभाशाली शख़्स हैं, जो हर वर्ग और मत को एक समान न्याय दे सकते हैं.”
इसमें कोई दो राय नहीं है कि बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर इस विषय में कहीं चूके।
भारत जैसे ग़रीब और ग़ैर-बराबरी वाले देश में संविधान के ज़रिए छुआछूत ख़त्म करना, वंचितों के लिए सकारात्मक उपाय करना, सभी वयस्कों को मतदान का अधिकार देना और सबके लिए समान अधिकार तय करना, बहुत बड़ी उपलब्धि थी । इन सबका श्रेय बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर को जाता है । आप थे तो हम हैं
आज उनकी 132वीं जयंती के शुभ अवसर पर आप सभी को बधाई ।
धन्नजय यादव