शान्ती समाचार

गोरखपुर

एक झोलाछाप द्वारा चलाए जा रहे एक अवैध अस्पताल को स्थानीय प्रशासन ने सील कर दिया है. दरअसल वहां एक गर्भवती महिला इलाज के लिए गई थी और उसकी मौत हो गई. पुलिस ने रविवार को जानकारी दी कि झोलाछाप को भी गिरफ्तार कर लिया गया है.

मामले का खुलासा तब हुआ जब मृतका के पति ने अस्पताल प्रबंधक रंजीत निषाद के खिलाफ मामला दर्ज कराया. शिकायत के अनुसार गोरखपुर के गुलरिहा क्षेत्र के सत्यम अस्पताल में मंगलवार को जैनपुर क्षेत्र निवासी सोनावत देवी नामक 30 वर्षीय गर्भवती महिला की मौत हो गई थी. स्थानीय लोगों ने दावा किया कि अवैध अस्पताल एक दो मंजिला इमारत में मौजूद था और इसमें लगभग 10 बिस्तर थे.

किसी अन्य डॉक्टर के नाम पर रजिस्टर्ड था अस्पताल

जांच के दौरान, पुलिस ने पाया कि निषाद ने केवल 12वीं क्लास तक पढ़ाई की थी और जिस अस्पताल को वह चलाता था, वह डॉक्टरों के प्रमाणपत्रों का उपयोग करके रजिस्टर्ड था. जिन डॉक्टरों के कागजों का इस्तेमाल इस अस्पताल में हो रहा था ने वहां कभी किसी का इलाज करने नहीं आए.

पुलिस ने दी पूरी जानकारी

SSP गौरव ग्रोवर ने शनिवार को कहा, अस्पताल के प्रबंधक रंजीत निषाद द्वारा सत्यम अस्पताल पिछले कई वर्षों से अवैध रूप से चल रहा था, जिसे आज गिरफ्तार कर लिया गया. उन्होंने कहा, ‘निषाद बिना किसी कानूनी डिग्री के कानूनी डॉक्टरों के नाम के पर्चे पैड पर मरीजों को चिकित्सकीय परामर्श और उपचार दे रहा था और मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा था. अस्पताल प्रबंधक रंजीत निषाद की लापरवाही के कारण मंगलवार को गर्भवती महिला सोनवती देवी की मौत हो गई.

‘इस फर्जीवाड़े में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी लिप्त’

पुलिस ने यह भी पाया कि निषाद पहले एक ही अस्पताल को दो अलग-अलग नामों से संचालित कर रहा था. एसएसपी ने कहा कि अस्पताल को स्वास्थ्य विभाग द्वारा कदाचार के लिए दोनों बार बंद कर दिया गया था, लेकिन आरोपी फिर भी इसे एक अलग नाम से फिर से खोलने में कामयाब रहे. इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के कुछ कर्मचारियों की भूमिका भी सामने आई है. उन्होंने कहा कि पुलिस ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को उनके खिलाफ कानूनी और विभागीय कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा है.

SSP ने कहा कि आरोपी के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट भी जोड़ा जाएगा और उसकी संपत्ति कुर्क करने के लिए जिलाधिकारी से अपील की जाएगी. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने सीएमओ को पत्र भी लिखा है कि पंजीकृत अस्पतालों, डायग्नोस्टिक सेंटर, पैथोलॉजी सेंटर आदि की जानकारी मीडिया के माध्यम से लोगों को दी जाए ताकि अवैध संस्थानों की पहचान की जा सके और उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सके.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *